तुम्हारे शहर पे आ. ख्वाजा बेग का साया जरुरी है- जाकीर हुसैन

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तुम्हारे शहर पे आ. ख्वाजा बेग का साया जरुरी है- जाकीर हुसैन

यवतमालः आमदार ख्वाजा बेग की जिंदगी, उनका किरदार और आर्णी कभी कभी सोचता हु मै छोटा था जब मै स्कुल जाया करता था तब आमदार ख्वाजा बेग का नाम सुनता था उनकी तारीफे सुनता था, उनकी बुराईया सुनता था सब कुछ सुनता था जिंदगी मे बहोत ऐसे वक्त आए उनसे मुलाखात करने के लिए लेकिन मुलाखात नही हो पायी उनसे पहली बार मुलाखात हुई उनके घर जब मै अपने अब्बु के साथ इद का सलाम करने के लिए गया था तब और मेरी अकेले जाने कि हिम्मत नही होती थी लेकिन अब देखता हु की तमाम नकली लोग उन जैसे बनने की कोशिशो मे लगे हूए है.. मेरा मन कहेता है मै (ख्वाजा बेग) उनके बारे मे कुछ कहू बहोत सोचा है मैने ये सब लिखने से पहले, बहोत कुछ सुना है बरदाश्त किया है “ये एक पत्रकार का दावा है कभी भी रद्द नही होगा तेरे कद के बराबर अब किसी का कद नही होगा आर्णीवालो बात मेरी याद रखना तुम कई सदियो तलक कोई आमदार ख्वाजा बेग नही होगा” क्यु एक पढा लिखा पत्रकार क्यु एक जिम्मेदार समाज सेवक ये मिसरे कहेने पर मजबूर हुआ ? क्युकि कभी कभी मै अपने फेसबुक पर या अपने न्युज मे सच्चाई लिखता हू क्युकी मै जानता हू कुछ भी हो मेरे गाव मे, शहर मे एक शख्स बैठा है वो सब संभाल लेगा ये जो ऐहसास हैना वो बहोत बडा है साहब मै उस ऐहसास की किमत समझता हु इसलिए मै ये मिसरे लिख रहा हु “बडी दुशवारीया है पर जिसे बया करना जरुरी है छलक कर दर्द होठो तक चला आया जरुरी है आर्णीवालो बात मेरी याद रखना तुम तुम्हारे शहर पे आ.ख्वाजा बेग का साया जरुरी है…”

मोहब्बत हो गई है आपके नाम से, दिवाने हो गए है आपके काम से…
वोट क्या चिज है, जान भी लगा देंगे ख्वाजा बेग को महाराष्ट्र का राजा बनाने मे…!

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